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October/2023



                                          माताद न चाद पर
                                                                    ँ




































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        ‘ “इं प टर मातादीन चाद पर”  ी ह रशंकर परसाई  ारा
         लखी  एक   ■स   कहानी  है।  इस  कहानी  क  मा यम  से
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        लखक  न  शासनतं   क   ￸तिन￸धय   क  च र   को   द￰शत
        िकया  है।  इन  स ाधा रय   क  कारनाम   से  मानवतावादी
                                 े
        सं क ृ ￸त न  हो रही है। समाज और रा   म  नै￸तक मू य  का
        अनवरत  पतन  हो  रहा  है।  इस  कहानी  म   परसाई  जी  का
         यं य  हार िवशेष  प से पु लस  यव था पर रहा है।
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        हमारे यहा एक उि   ■स  है िक भल ही सौ अपराधी छ ू ट
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        जाए  लिकन  एक  िनरापराधी  को  सजा  नह   होनी  चािहए।
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        लिकन इसक िवपरीत पु लस असली अपराधी को पकड़न        े
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        क  मश त से बचन क  लए िनरापराधी क सर दोषारोपण
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        कर  देती  है।  फल व प  सामा■जक  अ यव थाओ  का
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        पनपना  वाभािवक है। परसाई जी न  यं य का सहारा लत  े
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        हुए एक जिटल िवषय को समाज क सामन रखन का  यास
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        िकया है।
        वे ोर इंटरनैशनल  क ू ल क  क ा 6 से 9 तक िव ा￰थय
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        न ￱थएटर नाइट क दौरान इस कहानी को नाटक क  प म
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          तत िकया, ■जसे दश क  न खूब सराहा। नाटक दश क  का
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        मनोरंजन करन म  तो सफल हुआ ही, साथ ही साथ इसन     े
        दश क  को   ाचार जैसे िवषयपर सोचन क  लए मजबूर भी
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        िकया।
        Poornima
        Hindi Department, VIS.
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